कहत नाही झूठ बानी
चीज निरउठ बानी,
काँचे अमरूद खाती
काहे रावा रूठ जानी,
नहाई लेलू गंगवा ए गोरी
तू जीत लेलु जंगवा ए गोरी
खेललु ह खेला केकर सँगवा,
लेटवलु लहंगवा ए गोरी..
बोल ना अइसे तू कहे ल काहे
चलिला राहे त लागे ल डाहे
जान तानी गोरी हो तहार,
बाजार बड़ी गरम बा
कवन ह कुँआर के भातार,
लागत काहे शरम बा
हिलवलु पलँगवा ए गोरी,
छिलाइल बा अलंगवा ए गोरी
खेललु ह खेला केकर सँगवा,
लेटवलु लहंगवा ए गोरी..
काहे के इज्जत प फेरे ल पानी क
काल्हे हवाले क देहिब जवानी
लागेला पियास तबे जान,कहेलु कुआँ खोदे के
आशु प्रियांशु के बाद पिअइह प्रमोदे के
ना करिह दु रंगवा ए गोरी
नाही त होइ दंगावा ए गोरी
खेललु ह खेला केकर सँगवा,
लेटवलु लहंगवा ए गोरी..